• ओडिशा : अनुशासनहीनता के आरोप में कांग्रेस के 12 विधायक सात दिन के लिए निलंबित

    ओडिशा विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए 12 कांग्रेस विधायकों को सात दिन के लिए निलंबित कर दिया

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    भुवनेश्वर। ओडिशा विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने मंगलवार को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए 12 कांग्रेस विधायकों को सात दिन के लिए निलंबित कर दिया।

    यह कार्रवाई मुख्य सचेतक सरोज प्रधान द्वारा पेश एक प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने के बाद की गई।

    कांग्रेस विधायक पिछले 12 दिन से विधानसभा में लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी मांग थी कि राज्य में बढ़ती आपराधिक घटनाओं, खासकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए विधायकों की एक समिति गठित की जाए। विरोध के दौरान कांग्रेस सदस्यों ने घंटियां बजाकर अपना असंतोष जाहिर किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई।

    निलंबित विधायकों में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता रामचंद्र कदम, सी.एस. राजन एक्का, सोफिया फिरदौस, अशोक दास, मंगू खिला, दसरथी गमंगो, सत्यजीत गमंगो, नीलमाधब हिकाका, सागर दास, पबित्रा सौंटा और प्रफुल्ल प्रधान शामिल हैं। हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक तारा प्रसाद बाहिनीपति और रमेश जेना को निलंबन से छूट दी गई।

    उल्लेखनीय है कि 147 सदस्यीय ओडिशा विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के कुल 14 विधायक हैं।

    ओडिशा विधानसभा में यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में विधायकों को कार्यवाही में बाधा डालने के लिए निलंबित किया गया है। निलंबन के बाद भी कांग्रेस विधायकों ने घंटियां बजाकर विरोध जारी रखा, जिसके चलते अध्यक्ष ने उन्हें सदन से बाहर जाने का निर्देश दिया और कार्यवाही को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।

    कांग्रेस ने अपने विधायकों के निलंबन की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि सरकार जनता की आवाज को दबाने और लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन करने का प्रयास कर रही है। दूसरी ओर, मुख्य विपक्षी पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) के सदस्यों ने सरकारी नौकरियों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर नारेबाजी की, जिससे सदन में हंगामा और बढ़ गया।

    पिछले कुछ दिनों से ओडिशा विधानसभा की कार्यवाही महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कथित वृद्धि सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर कांग्रेस और बीजद सदस्यों के विरोध के कारण प्रभावित रही है।

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